हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
बरस रही है कृपा हर तरफ
पर रही तेरी नज़र जहाँ भी जिधर ।
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर !
फँसी हूँ मैं माया के दलदल
माया भटकाए संग लिए मुझको
न जाने कहाँ न जाने किधर ?
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर!
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर!
पहुँच न पाती मैं आप तलक
जतन नही इतना मैंने किया
कि आ पाऊँ आपके उधर ।
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
ऐसा करों न कि एक़बार तुम
नियम-वियम सब छोड़छाड
आ जाओ आप ही मेरे इधर ।
हे श्यामसुंदर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
बरस रही है कृपा हर तरफ
पर रही तेरी नज़र जहाँ भी जिधर ।
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर !
फँसी हूँ मैं माया के दलदल
माया भटकाए संग लिए मुझको
न जाने कहाँ न जाने किधर ?
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर!
हे श्यामसुन्दर! हे गिरिधर!
पहुँच न पाती मैं आप तलक
जतन नही इतना मैंने किया
कि आ पाऊँ आपके उधर ।
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
ऐसा करों न कि एक़बार तुम
नियम-वियम सब छोड़छाड
आ जाओ आप ही मेरे इधर ।
हे श्यामसुंदर ! हे गिरिधर !
हे श्यामसुन्दर ! हे गिरिधर !
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें