तेरे कारण महिमा ब्रज कीतूने बढ़ाया इसका मानतेरे जन्म से हुई ये पावनवैकुंठ से भी हुई महान
छोड़ के सारे धन और वैभवलक्ष्मी सेवा करती हैं यहाँहम क्या छोड़े तू ही बतातेरे सिवा कुछ है ही कहाँ
प्राण हमारे तेरे चरण मेंहम तो हैं सिर्फ तेरी शरण मेंवन-वन में हम ढूँढ रहीछवि न आयी हमरी नयन में .
*******************दामोदर*****************