गुरुवार, 31 मार्च 2016

!! करते तुम अकारण ही कृपा तो कर दो न एकबार फिर से !!


आ न पायी मै मिलने तुझसे
आ जाओ तुम ही  मिलने मुझसे.
तेरे चरणों में नयन अटके पड़े
निकल न पा रहा प्राण जिससे.

छोटे-छोटे हाथों में लिए वंशी
मेरे जीवन में मुस्काजा फिर से.
मिल जाओ न आकर मोहन
जाने कब मुलाक़ात हो फिर से.

तेरी कृपा जब सब पे बरसे
तब भी हम दर्शन को तरसे.
करते तुम अकारण ही कृपा
तो कर दो न एकबार फिर से.

उन वृन्दावन की गलियों से
अपने उस ऊँचे परकोटे से
मेरे इस छोटे ह्रदय में भी
आ बैठो हे कन्हैया छोटे से.