जो वश में नही उसे वश में करने के लिए
क्यों मरे जा रहे हम सब न मरने के लिए.
क्या-क्या न किया फिर भी वे मर ही गए
थोडा-सा जी ले हम इस जीवन के लिए .
धन के लिए लड़ना, पद के लिए झगड़ना
रुला देना किसी को अपनी ख़ुशी के लिए.
जो कभी भी जा सकता नही संग हमारे
जमा कर रहे उसे साथ ले जाने के लिए.
किसी का सच्चा मन,किसी की अभिलाषा
तोड़ देते क्षण में अपने झूठे अहम के लिए.
किस बात का भला इतना अभिमान है हमें
मुहताज है हरदम हम चन्द सांसों के लिए.
इस छोटे जीवन को बना कर हम उपवन
करे स्वागत सबका ही प्रेम के फूल लिए.
ऐसे ही गर करे प्रभु की हर संतान से प्रेम
तो एकदिन फैलेंगी उनकी बाहें हमारे लिए.
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