शनिवार, 20 फ़रवरी 2016

!!निताई चरण सेवा करे जो जतन से, गौर कृष्ण प्रेम पा जाए वो सहज से!!


निताई चरण सेवा करे जो जतन से
गौर कृष्ण प्रेम पा जाए वो सहज से.
निताई बिन न गौर,  न ही वृन्दावन
कृष्ण प्रेम के लिए निताई भज हे मन.

निताई कृपा मिले तो गौरांग अपनाए
छोड़े इनको जो वो गौर चरण न पाए.
करुणा औ दया में महाप्रभु से भी आगे
जगाई -मधाई को भी नही इन्होने त्यागे.

पाना हो कृष्ण प्रेम या करना हो प्रचार
नित्यानंद प्रभु ही है इन सबके आधार.
अवधूत वेश गौर प्रेम में ये उन्मत रहे
इनकी करुणा की धारा हरएक पर बहे .

हैं ये हरिनाम और हरि दोनों के ही दाता
कृष्ण हो या गौरांग दोनों के अग्रज भ्राता.
हे नीलाम्बर धारी धवल वर्ण नित्यानंद
स्वीकारे नमन दे हमें हरिनाम का आनंद.