हम जग में रहे ये तो सही बात है
पर हममें बसे जग ये ठीक नही.
जितना जरुरी निभाये हम तन से
पर बसा न ले दुनिया मन में कहीं
मन से मनन सदा मोहन का हो
चित्त भी करे उनका ही चिंतन.
मन से हम किसको मान रहे हैं
इसपे नही है दुनिया का नियंत्रण.
मोहन तो मन को ही पढ़ लेते है
उनके समक्ष क्या करना प्रदर्शन.
होगी तड़प और लालसा मन में
तो दे देंगे एकदिन वे हमें दर्शन.
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