दिल के किसी एक कोने का खालीपन
सारी दुनिया के सुख से भी जाता नही.
हर मंजिल के बाद भी जो रह जाए शेष
जग का कोई रिश्ता उसे भर पाता नही.
हमेशा ही लगता कि कमी है किसी की
किसी का मिलना जैसे अभी है बाकी.
प्रतीक्षा किसी की मुझे, किसी को मेरी
जैसे कोई चीज जो है नही इस जहाँ की.
जैसे कोई साथी मेरा जनम-जनम का
अब भी रहता जैसे हर पल साथ वो मेरे.
जैसे वो जानता मुझे मुझसे भी ज्यादा
उससे रिश्ता ऐसा जो है हर रिश्ते से परे.
पता लगाया तो पता चला है ये राज मुझे
उससे ही जन्मी उसकी ही एक अंश हूँ मै.
वो रहता सदा दिल में मेरे बनकर साथी
हर जगह हर शख्स में जिसे ढूंढती रही मै.
उसकी जगह कोई ले नही पाया अब तक
क्योंकि उसके जैसा यहाँ कोई है ही नही.
ये तो बस अपना मुरलीवाला ही है जो
हर जन्म, हर रिश्ते में उतरे सदा ही सही.
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