"नमो देव दामोदरानन्त विष्णो
प्रसीद प्रभो दुःख-जालाब्धि-मग्नम्
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष माम् अज्ञम् एध्य् अक्षि-दृश्यः ॥ ६॥ "
कृपा-दृष्टि-वृष्ट्याति-दीनं बतानु
गृहाणेष माम् अज्ञम् एध्य् अक्षि-दृश्यः ॥ ६॥ "
हे दामोदर, हे अनंत
हे विष्णु,हे नाथ मेरे.
हे भगवन करूँ मैं नमन
रख दो हाथ सर पर मेरे..
हे प्रभु, हे परमेश्वर
हो जाओ प्रसन्न हम पर.
दुःख के सागर में डूब रहे
बचा लो हमें प्रभु दयाकर.
अपनी करुणा की वर्षा कर दो
मन के सारे क्लेश धुल जायेंगे.
तभी तो उस निर्मल ह्रदय में
प्रभु दामोदर आप पधारायेंगे.
मुझ दीन-हीन को ले के शरण में
प्रभु कर दो हमारा भी उद्धार
दर्शन न हो पाए आपका प्रभु तो
नेत्रों के संग ये जीवन भी है बेकार.
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