नमामीश्वरं सच्-चिद्-आनन्द-रूपं
लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्
यशोदा-भियोलूखलाद् धावमानं
परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १
लसत्-कुण्डलं गोकुले भ्राजमनम्
यशोदा-भियोलूखलाद् धावमानं
परामृष्टम् अत्यन्ततो द्रुत्य गोप्या ॥ १
मैया नही छोडेगी उसे आज
किया है कान्हा ने ऐसा काज
लाख समझाया मैया ने पर
वो शैतान न आया बाज
दही की हांडी ही फोड डाली
और बन्दरों में दिया है बाँट
आज तो मार पड़ेगी उसको
पहले बस लगती थी डाँट
भले सचिदानंद कहते हैं उसको
पर भूल गया वो वैभव अपना
दिख रहा बस डंडा माँ का
भाग ले भाग सके है जितना
माँ के डर से भाग रहा लल्ला
कान का कुंडल गाल पे आये
ये लो मैया भी तेज से दौडी
अब बच के कान्हा कहाँ को जाए
किसी की पकड़ में न आने वाले
उन्हें आज माँ ने लिया है थाम
ऐसे भगवान दामोदर को मै
करूँ बारंबार प्रणाम ,बारंबार प्रणाम.
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