जल बिन जैसे तड़पे मीन
चैन न मिले उसे और कहीं.
आपके श्रीचरणों से होकर दूर
प्रभु हमारी भी हालत है वही.
ये धन दौलत, रिश्ते नाते
जग के सारे सुख और वैभव.
सोने के घर में , जल से दूर
जैसे करे मीन बेचैन अनुभव.
पा जाए मीन जब जल का संग
मिल जाता है उसे सारा संसार.
ये जग भी लगे अकेला,वीरान
जब तक न करे आपसे प्यार.
हे पुरुषोत्तम !जगत के पालक
मुझे मेरा जल वापस दिला दो.
खोया था मैंने, है ये गलती मेरी
सेवा में अपनी फिर से लगा दो.
सेवा में अपनी फिर से लगा दो
सेवा में अपनी फिर से लगा दो
1 comments:
सुन्दर प्रार्थना
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