जब मोहित हो जाए ब्रह्मा भी
देख के आपकी लीला प्रभु.
कैसे हम खुद को बनाये योग्य
हम छोटे अणु और आप विभु.
ब्रह्मा की मति तो आ गई वापस
स्तुतियों से कर लिया प्रायश्चित.
पर हम में तो मति है ही नही
अज्ञान में ही रहते हैंआनंदित .
भौतिक जगत का निर्माणकर्ता
हो गए जब अहंकार के वश.
हम तो छोटे से प्राणी जग के
तीन गुणों से बंधे और विवश.
न हम में है मति न हम ब्रह्मा
न ही कर सकते कोई स्तुति
पर हे पुरुषोत्तम है पाना तुझे
अब तेरे ही हाथ है हमारी गति.
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