मंगलवार, 16 जून 2015

!! तेरी महिमा से पूरित ये मास, कृपा से तेरी आया हे पुरुषोत्तम !!


तेरी महिमा से पूरित ये मास
कृपा से तेरी आया हे पुरुषोत्तम.
दिल चाहे करूँ मै भी वंदना
कहाँ से लाऊं श्लोक मै उत्तम .

जड़ बुद्धि और मलिन ह्रदय
न मुझमे ज्ञान, न ही है विनय .
तृण से भी नम्र भक्तों की भीड़
रहे तेरे शरण में हे  नन्दतनय .

मै तो तुच्छ अकिंचन नारी
कैसे गाऊं महिमा तिहारी.
सेवा करे लाखों लक्ष्मियाँ तेरी
क्या करूं मै सेवा वनवारी .

तेरे दिए ही दो चार शब्द हैं
उनके ही पुष्प चरणों में चढ़ाऊं
मन के भावों को गूंथ के इसमें
हे भावग्राही ! तुझे मैं सुनाऊं.