हे नाथ मेरे ! हे गिरवरधारी
करुणा के सागर
हे बांकेबिहारी.
क्या-क्या न दिया तूने हमे
पर भूलने की
पुरानी है आदत हमारी.
कुछ भी न दो अब हे नाथ मेरे
ह्रदय में बसा दो बस
अपनी सूरत प्यारी.
मन में बसा के सांवली सूरत
होंठो से लेते तेरा नाम
ऐसे ही बीते जीवन सारी.
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