शनिवार, 1 नवंबर 2014

मैया से लाड़ लड़ाए कन्हैया,आखिर मिल गई उनको गैया

मैया से लाड़ लड़ाए कन्हैया
आखिर मिल गई उनको गैया
अब तक तो बछड़े चराते थे
बस आस-पास ही ले जाते थे.

बोले लेकर गैया मेरी मैया
अब मधुवन को मै जाऊँगा.
बाँध देना जरा मेरा कलेवा
मित्रों के संग ही खाऊंगा.

वन की हरी-हरी घास
गायों को भी खिलाऊंगा.
यमुना के शीतल जल से
इनकी प्यास बुझाऊंगा.

इधर-उधर जो भागी गैया
वंशी से उसे बुलाऊंगा.
थक जायेगी जो गैया
प्यार से उसे सहलाऊंगा.

हर गैया का नाम रखूँगा
नाम से उसे पुकारूंगा.
मैया तू चिंता न करना
प्यार से उन्हें संभालूँगा.

अब जाता हूँ मैं मैया
गोधूली तक लौट आऊंगा.
दिनभर की सारी बातें
फिर मै तुम्हे बताऊंगा.

3 comments:

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...

anusia ने कहा…

Bahut achis kavita hai Bal Gopal ka. Mujhe meri bacpan ki hindi kavitae yaad aa gayi.

anusia ने कहा…

Bahut hi badia kavita hai. Nand Gopal or uski shararat bhari karname behad natkhati hai.