कदम्ब की डाल पे झूला लगाए ,
वन के फूलों से उसको सजाए.
कर के सारी,झूलन की तैयारी
राह तके हैं सखियाँ
बरसाने की राह पे ही टिकी हैं
उन सबकी अँखियाँ.
कोई ताम्बुल बनाए
कोई फल लगाए
कोई इत्र से महकाए झूले को
कोई कहे आज
प्रिय प्रियतम को ऐसे सजाऊं
जैसे सजाए दुल्हन और दुल्हे को
वसंत का महीना भी लजाये
आज सावन में ऐसी मादकता भरी है.
पेड़-पौधे,पशु और पक्षी
सब पे ही प्रेम की रंगत ऐसी चढी है.
सारी खुशबू समेटे हुए
पवन भी हौले-हौले बह रहा है.
शामिल कर लो मुझे भी
जैसे सखियों से वो कह रहा है.
तभी दूर से दिखे आते हुए प्रेमी युगल
सखियों की आँखे खुशी से गई छलक.
पीला पीताम्बर,मोरपंख और मुख पे मोहक मुस्कान बिखेरे
राधे को संग लिए बिहारी ,सखियों के सामने है आ खड़े.
श्यामा-श्याम झूले पे पधराये.
धीरे-धीरे सखियाँ झोंके लगाये.
कोई वीणा बजाये, कोई ढोल बजाये
कोई दिव्य दंपत्ति को पान खिलाये.
मोर-पपीहे भी मस्ती में झूमे-नाचे-गाये.
सब मिलकर झूलन का उत्सव मनाये.
राधा कृष्ण झूला झूले ,संग-संग झूले वृन्दावन.
हे ठकुरानी ठाकुर के संग,आन बसों कभी मेरे भी मन.
आन बसों कभी मेरे भी मन......
वन के फूलों से उसको सजाए.
कर के सारी,झूलन की तैयारी
राह तके हैं सखियाँ
बरसाने की राह पे ही टिकी हैं
उन सबकी अँखियाँ.
कोई ताम्बुल बनाए
कोई फल लगाए
कोई इत्र से महकाए झूले को
कोई कहे आज
प्रिय प्रियतम को ऐसे सजाऊं
जैसे सजाए दुल्हन और दुल्हे को
वसंत का महीना भी लजाये
आज सावन में ऐसी मादकता भरी है.
पेड़-पौधे,पशु और पक्षी
सब पे ही प्रेम की रंगत ऐसी चढी है.
सारी खुशबू समेटे हुए
पवन भी हौले-हौले बह रहा है.
शामिल कर लो मुझे भी
जैसे सखियों से वो कह रहा है.
तभी दूर से दिखे आते हुए प्रेमी युगल
सखियों की आँखे खुशी से गई छलक.
पीला पीताम्बर,मोरपंख और मुख पे मोहक मुस्कान बिखेरे
राधे को संग लिए बिहारी ,सखियों के सामने है आ खड़े.
श्यामा-श्याम झूले पे पधराये.
धीरे-धीरे सखियाँ झोंके लगाये.
कोई वीणा बजाये, कोई ढोल बजाये
कोई दिव्य दंपत्ति को पान खिलाये.
मोर-पपीहे भी मस्ती में झूमे-नाचे-गाये.
सब मिलकर झूलन का उत्सव मनाये.
राधा कृष्ण झूला झूले ,संग-संग झूले वृन्दावन.
हे ठकुरानी ठाकुर के संग,आन बसों कभी मेरे भी मन.
आन बसों कभी मेरे भी मन......
1 comments:
beautifull..
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