बुधवार, 11 सितंबर 2013

!! काले को मै काला टीका लगाऊं !!


सब कहते हैं कि रहता है तू
कण-कण में.
पर मेरा मोहन तो बसता है
मेरे मन में.

वो मुरली वो मादक-सी
मुस्कान तेरी.
बुलाने पे करता न
आने में देरी.

जाने मुझे तो वो मुझसे भी
ज्यादा.
मुझसे भी पहले पता है उसे
मेरा इरादा.

ह्रदय में ही तो है
उसका घर
फिर क्यूं मै भटकूँ
इधर-उधर.

सबसे बचाऊं
दिल में छुपाऊं
काले को मै
काला टीका लगाऊं.

1 comments:

हिंदी साहित्य मार्गदर्शन ने कहा…

Hare Krishna ! Hare Krishna ! Krishna Krishna Hare Hare !!

Hare Ram ! Hare Ram ! Ram Ram Hare Hare!!