सब कहते हैं कि रहता है तू
कण-कण में.
पर मेरा मोहन तो बसता है
मेरे मन में.
वो मुरली वो मादक-सी
मुस्कान तेरी.
बुलाने पे करता न
आने में देरी.
जाने मुझे तो वो मुझसे भी
ज्यादा.
मुझसे भी पहले पता है उसे
मेरा इरादा.
ह्रदय में ही तो है
उसका घर
फिर क्यूं मै भटकूँ
इधर-उधर.
सबसे बचाऊं
दिल में छुपाऊं
काले को मै
काला टीका लगाऊं.
1 comments:
Hare Krishna ! Hare Krishna ! Krishna Krishna Hare Hare !!
Hare Ram ! Hare Ram ! Ram Ram Hare Hare!!
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