सिर पर अब भी आसमान की चादर
पैरों तले टिकी है अब भी जमीन
चल रही साँसें अभी तक हमारी
किसी ने तो इन सबको छीना नही
फिर क्यों कभी हो हम उदास
क्या है? जो नही हमारे पास
हमसे तो कभी भी रूठा नही
हमारा जो था अपना वो है वही
जिंदगी दी, जीने की वजह दी
दिखा रहा रास्ता हर सफर में
हमसे अधिक हमारी चिंता करे
यही चाहे सब अपने हमसफर में
एक है ऐसा सबका हमराही
रहे सूरज के साथ रौशनी जैसे
हैं जीवन के साथ ये साँसे जैसे
हो सकता फिर कोई अकेला कैसे
हमने बस उसे पहचाना नही
कभी अकेलेपन में पुकारा नही
कभी रास्ते में उसे निहारा नही
वरना वो तो कबसे खड़ा है वहीं.
पैरों तले टिकी है अब भी जमीन
चल रही साँसें अभी तक हमारी
किसी ने तो इन सबको छीना नही
फिर क्यों कभी हो हम उदास
क्या है? जो नही हमारे पास
हमसे तो कभी भी रूठा नही
हमारा जो था अपना वो है वही
जिंदगी दी, जीने की वजह दी
दिखा रहा रास्ता हर सफर में
हमसे अधिक हमारी चिंता करे
यही चाहे सब अपने हमसफर में
एक है ऐसा सबका हमराही
रहे सूरज के साथ रौशनी जैसे
हैं जीवन के साथ ये साँसे जैसे
हो सकता फिर कोई अकेला कैसे
हमने बस उसे पहचाना नही
कभी अकेलेपन में पुकारा नही
कभी रास्ते में उसे निहारा नही
वरना वो तो कबसे खड़ा है वहीं.
8 comments:
बढ़िया प्रस्तुति ।
आभार ।।
सच है, वह तो वहीं पर है, जहाँ पर आप छोड़ आये हैं।
मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
आओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
--
शुक्रवारीय चर्चा मंच ।
वह तो वही है , हम ही राह भूले हैं !
सुन्दर गीत !
बहुत सुन्दर भक्तिमय भाव लिए सहज सुन्दर प्रस्तुति
बहुत सुंदर
सादर।
bahut sunder rachna
shubhkamnayen
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