मंगलवार, 3 मई 2011

कर्ज उनका क्या कोई चुकाए, कम है जीवन का भी न्योछावर.

जैसे सूरज में है गर्मी

है चाँद में उसकी शीतलता
वायु बहाए खुशबू सदा
है फूलों में स्वाभाविक कोमलता.

रोके कोई कितना भी पर
नदियाँ बहती ठहरती नही
जाने अनजाने कैसे भी पकड़ो
आग जलाने से रहती नही

ऐसा ही स्वभाव है कान्हा का
सब पे उसकी करुणा बरसती .
देखे नही कभी वो पात्र-कुपात्र
कृपा इनकी सब पे ही रहती.

इनका स्वभाव,प्रवृत्ति इनकी
करुणा किये बिन रह नही सकते.
वो भी बिना कारण ही,प्रेमवश
प्यार अपना सबपे छिडकते.

मंशा हमारी बुरी भी होती
तो भी बुराई वो लेते नही.
कोशिश में रहते हरदम,हमेशा
मिल जाए मौका कृपा का कही .

गई थी मारने पूतना उनको
पर माता की गति दे दी उसको.
दूध का मोल चुकाया उसका
देखा ही नही उन्होंने विष को.

करुणा से ही बने हैं शायद
ह्रदय उनका करुणा का सागर.
कर्ज उनका क्या कोई चुकाए
कम है जीवन का भी न्योछावर.