सोमवार, 25 अप्रैल 2011


सोचूँ मै अक्सर कि
इतना क्यूँ हैं तू दयालु
बरसती है हर क्षण कृपा.

कभी हम समझे,कभी न समझे
इससे अछूती हरपल हरदम
बहती रहती तेरी करुणा.

भूले हम जो तूने दिया
जो न दिया उसके लिए कोसा
जानते हुए भी ये धोखेबाजियाँ
हर दिन तू देता ही गया.

बिता वक्त तो समझा मन
जो हमारे हित में था नही
वही तो तूने दिया नही.

बोले कभी न कर दे सब कुछ
खामोश रह पाए न सुनकर सदा.
कैसी अलबेली है तेरी अदा.

2 comments:

Vivek Jain ने कहा…

बिता वक्त तो समझा मन
जो हमारे हित में था नही
वही तो तूने दिया नही.

बहुत सुंदर

विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Dinesh pareek ने कहा…

आप की बहुत अच्छी प्रस्तुति. के लिए आपका बहुत बहुत आभार आपको ......... अनेकानेक शुभकामनायें.
मेरे ब्लॉग पर आने एवं अपना बहुमूल्य कमेन्ट देने के लिए धन्यवाद , ऐसे ही आशीर्वाद देते रहें
दिनेश पारीक
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/
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