शनिवार, 5 फ़रवरी 2011

प्रेम का मतलब सुख प्रियतम का, और प्रियतम मेरा मथुरा में सुखी है.



प्रीत जोड़ी हमने कान्हा से
उसने नही कहा चाहो मुझको.
फिर क्यों करे हम उससे शिकायत
क्यों दोषी ठहराए हम उसको.

हमारी मर्जी हमने उसे चाहा
उसकी मर्जी छोड़ गया वो.
हमने सदा अपने मन की करी
उसने करी तो क्यों गलत वो.

हम तो कभी न उसको भुलाए
उसको याद हम आये न आये.
क्यूँ हम बोले लौट आ माधव
प्यार में क्या कोई शर्त्त लगाए.

हम किसी और की हो नही सकती
जैसे चंदा को ही चाहे चकोर .
क्यूँ भुला दे हम प्रियतम को
चंदा भी तो जाए जब आये भोर.

चाहे चकोर बस चंदा को पर
चाँद की चांदनी सब पे बिखरे.
हम भी बस उन चरणों की दासी
वो चाहे कितनों का हाथ पकडे.

प्रेम का मतलब सुख प्रियतम का
और प्रियतम मेरा मथुरा में सुखी है.
नही बहाना आज से आँसू मुझको
कैसा प्रेम जो उसके सुख में दुखी है.