बुधवार, 23 फ़रवरी 2011

काश...................................................

इक बूँद न बहा कभी तेरे लिए

मेरी इन निष्ठुर आँखों से कान्हा.
कभी कोई तड़प नही मन में मेरे
तेरे विरह को कहाँ कभी जाना.

बातें सुनती दुनिया भर की पर
तेरी बातों को सदा अनसुना करती.
अपनी आशाओं के लिए ही जीती
अपनी आकांक्षाओं के लिए मरती.

जीवन में कभी तुझे लाया नही
कभी भी तुझे दिल से लगाया.
अपनों की गिनती में तू था ही नही
करके किनारा तुझे दूर ही बिठाया.

फिर भी ह्रदय में कोई ग्लानि नही
आँखों में पछतावे का पानी नही.
जिससे वजूद,उसे ही भुला दिया
क्या ऐसी भी होती है संताने कही.

काश!कभी मुझे अपनी गलती का अहसास हो,
कभी मुझे लगे कि हाँ तुम हो, मेरे पास हो.
मेरी वजह से मेरा कान्हा न उदास हो
तेरे सिवा मेरी जिंदगी में कोई और न खास हो.
काश...................................................

1 comments:

vandana gupta ने कहा…

भक्ति भाव से ओत-प्रोत रचना।