तू इतना सुन्दर क्यूं है
क्यूं मै इतनी पागल हूँ.
कमल से कोमल नैनो से
क्यों मै इतनी घायल हूँ.
तेरी मंद-मंद मुस्कान
सच है या मेरी कल्पना.
सामने तू ही हैं न या
है खुली आँखों का सपना.
श्यामल-श्यामल तेरा चितवन
या बादल कही छाया है.
तेरे अधरों ने कहा है कुछ
या कानों ने मुझे भरमाया है.
सपना है अगर ये तो
मुझे सपनों में ही जीने दे
ये रूप अमृत कान्हा का
ताउम्र मुझे ऐसे ही पीने दे.
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