मांगे माफी कान्हा तुझसे.
तेरे बिना मै जाऊं कहाँ
कृष्णा वहाँ, है राधा जहाँ.
विनती करूँ,पैयां परू
जो दे सजा वो सिर पे धरूं.
पर हो न उदास हे ब्रज की रानी
कृष्ण की आराधिका,ब्रज की पटरानी.
मेरी ठिठोली न दिल पे धरो
इतना न अब मान करो .
मान भी जाओ हे प्राण प्रिय
गलती बता दो जो मैंने किये.
रूठो न राधा ऐसे मुझसे
मांगे माफी कान्हा तुझसे.
2 comments:
वाह कान्हा का माफ़ी का अन्दाज़ बहुत ही बढिया लगा और आपका ब्लोग कान्हा प्रेम से सराबोर है बहुत ही सुन्दर चित्र लगाये हैं।
कृष्ण लीला अच्छी लगी | धन्यवाद|
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