तुझको ही सोचूँ मैं हरपल
तेरे ख्यालों में ही रहती
देखना तुझे बस अच्छा है लगता
जब जी चाहे तुझे देखती रहती
कभी मूरत में देखूं
कभी मन में देखूं
जब जी चाहे जो
वो सूरत सहेजूँ
बातें करना चाहूँ मै तुझसे
दिल की बातें तुझसे ही बाटूं
तेरे बिना थम सी है जाती
जो पल जिंदगी के संग तेरे काटूं
राहें मेरी मुझे तुझ तक ले जाती
और कोई मेरी मजिल ही नही
न मोहलत है, न ही मर्जी है
कि ढूँढू मै कोई और मजिल कही.
तुझसे न मेरा मन कभी हटे
तेरे बिन एक पल न कटे
कानों में वही जाए जो तू कहे
जिंदगी में बस तू ही रहे
आती नही करनी मुझे भक्ति
न ही मुझमे करने की है शक्ति
मेरी दुनिया तुझ तक ही रहे
कान्हा पूरी कर दे मेरी ये विनती
3 comments:
भावों का सहज समन्वय…………भक्तिभाव से ओत-प्रोत रचना।
..सुन्दर आती नहीं मुझे करनी भक्ति नहीं मुझमे इतने शक्ति..
"जय जय श्री राधे"
"जय जय श्री राधे"
"जय जय श्री राधे"
wht to say....u touched my heart....even i write for him....KANAHA PREM HI AISA HAI.....
prars.blogspot.com
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