शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

आनंद घन है श्याम

आनंद घन है श्याम
आनंद ही यहाँ बरसता है
उनके सानिध्य में आकर
कहाँ कोई यहाँ तरसता है

आनंद की धुन
सुनाये उनकी मुरली
आनंद से भर जाए
एकबार जिसने सुनली

आनंद का ऐसा सागर वो
जिसके हर लहर में आनंद है
इसके पास से भी गुजर जाए
तो भी मिलता परमानन्द है

उनका ध्यान होते ही
आनंद उमड़ आता है
नाम लेते ही ह्रदय में
आनंद भर जाता है

आनंद देने और लेने के सिवा
उन्हें कुछ और आता ही नही
कितना भी आनंद बांटे वो
उनका बूँद भर भी जाता नही

उनको आनंद पहुचाने में भी
आनंद आता है
छूकर आनंद पारसमणि को हरकोई
आनंदित हो जाता है

आनंद का आनंद-प्रदान ही
उनका निज स्वभाव है
समझ लो वहाँ कृष्ण नही
जहाँ आनंद का अभाव है

1 comments:

Kuldeep Saini ने कहा…

bahut khooburat rachna really very nicethought