मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

जीवन का सच











जो कमाया जो चुराया
जो भी हैं हमने बटोरे
सब रह जाता यहीं धरा
जाता साथ न तेरे न मेरे

डिग्री पैसा
इज्ज़त शोहरत
छूट जाता सब यहीं

पर जो करे हैं
कर्म हमने
साथ जाता है बस वही

गाडी भी रह जाती
बंगला भी रह जाता
रह जाते सारे
सगे - संबन्धी


मृत्यु के आगे सोच ही न पाते
माया ने बना रखा
है हमारी बुद्धि को
इस कदर अंधी

लूटने में लगे हैं
लोग मज़े इस संसार के
कोई जीत की खुशी में
झूम रहा
तो कोई बैठा है हार के

मूर्ख मानव सोच भी न पाता
एक दिन मृत्यु ले जायेगी
आत्मा को और
छोड़ देगी
शरीर को यहीं उतार के

चली जायेगी आत्मा
कर्मो के साथ
रह जायेगा शरीर
यहीं खुले हाथ


जो जाता है आत्मा के
साथ भी
उसे तो कभी संजोया नही

जिस भक्ति की खुशबू फैले
जन्म - जन्मान्तर तक
उस बीज को कभी बोया ही नही

दिन -दिन करके पल -पल
हमने जिन्दगी गंवां दी
जीवन मिला क्यूं ये
सचाई भी बिसरा दी

अंत समय में काल ने
हर भ्रम को झुठला दिया
मौत के रूप में हमें
जीवन का सच दिखा दिया

1 comments:

ktheLeo (कुश शर्मा) ने कहा…

हरे कृष्णा,
सुन्दर शब्दों में, जीवन के सत्य को बताया है ,आप ने।
प्रभु आप का भक्ति भाव और दृण करें।