जप ले मन मेरे कृष्णा कृष्णा
भर ले मन में कृष्णा कृष्णा
सुबह शाम हो इसी नाम से
जोड़ ले इसे हर एक काम से
मुख में बस यही नाम हो
जिह्वा का बस यही काम हो
दीन - दुनिया में क्या रखा है
कोई बैरी न कोई सखा है
एक ही सच है इस जगत का
एक ही रिश्ता भगवान - भक्त का
बाकी रिश्ते धुंध का पानी
जुड़ना - टूटना है उसकी निशानी
नयी हो या हो पुरानी
एक दिन होती ख़त्म कहानी
इन बंधनों में जंजालों में
व्यर्थ का फंसना कैसी बुद्धिमानी
ठुकराकर कोई भगा दे
इससे पहले खुद ही आजा
प्रभु का द्वार खुला सदा
फिर आने में कैसी लज्जा
थाम कर तो देखे जरा
एक बार इनके चरण कमल
हर कष्ट मिट जाता
बन जाता इंसान विमल
शुद्धता मन में ,शुद्धता तन में
भर जाए भक्ति अन्तः करण में
एक स्थिति हो जाती साधु की
फिर न ही माया न ही तृष्णा
हर जन, हर कण में दिखे
हर जगह ही कृष्णा कृष्णा
जप ले मन मेरे कृष्णा कृष्णा
भर ले मन में कृष्णा कृष्णा
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