सोमवार, 6 अप्रैल 2009

सम्पूर्ण समर्पण










भक्ति का मतलब

है सम्पूर्ण समर्पण

हर कार्य हो बस

प्रभु चरणों में अर्पण


न शंका न शक

न विचलन

न भटकन


बस प्रभु का

श्रवन

स्मरण

और कीर्तन

न मोह

न माया

न ही कोई

बंधन


नित्य प्रतिपल

बस प्रभु का

अभिनन्दन


उनकी उपस्थिति

का आभास

कराये

कण - कण


उनकी लीलाओं

का आस्वादन

उनके नाम

का भजन


उनके लिए

रुदन

उनके लिए

क्रंदन


व्याकुल हो

हर क्षण

उनके लिए

अंतर्मन


खुली आँखों से

दर्शन

स्वप्न में भी हो

उन्ही से मिलन










कमा कर

तो देख

प्रभु

नाम धन


करके तो देख

बन्दे

सम्पूर्ण समर्पण



छुट जायेगा

फिर ये

जन्म मरण

1 comments:

Chandan Tiwari ने कहा…

अदभुद ---- सच्ची भक्ति का मार्ग

हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे |
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे ||

जय जय श्री राधे