गुरुवार, 24 दिसंबर 2015

!!जल को जितना भी मथ ले कोई, नवनीत कभी भी निकल न पाए!!


जल को जितना भी मथ ले कोई
नवनीत कभी भी निकल न पाए.
कृष्ण बिना जो जीए जीवन फिर
जीवन में आनंद भला कैसे आये.

जग में जो सुख सुलभ ही नही
ढूँढने से भी क्या मिल पायेगा.
बबूल के पेड़ पे कितना भी ढूँढे
आम तो उसपे कभी न आएगा.

बिन कृष्ण भजे भला  कैसे मिले
सुख, शांति, प्रेम और भाईचारा.
जड़ से अगर जुड़े ही नही हम तो
फिर कैसे मिले हमें कोई सहारा.

सीधी सी बात जीवन का सूत्र
कृष्ण से जोड़े अपनी टूटी कड़ी.
आह्लादित हो जाता है जीवन
मान लेते उन्हें अपना जिस घड़ी.