शुक्रवार, 6 नवंबर 2015

!!अपनी लीलाओं के साथ प्रभु, आया करो कभी मेरे भी मन!!

"नमस् ते ‘स्तु दाम्ने स्फुरद्-दीप्ति-धाम्ने
त्वदीयोदरायाथ विश्वस्य धाम्ने
नमो राधिकायै त्वदीय-प्रियायै
नमो ‘नन्त-लीलाय देवाय तुभ्यम् ॥ ८॥"

हे भगवन हे दामोदर करूँ मैं
आपके श्री चरणों में नमन
आपके उदर को बांधनेवाली
दिव्य रस्सी का भी करूँ वंदन.

आपकी लीला के सारे ही पात्र
होते अलौकिक और चिन्मय
सबकी ही आराधना करते हुए
अर्पित है मेरा प्रणाम सविनय.

आपकी प्रियतमा है राधारानी
सारे व्रज की जो हैं ठकुरानी.
उनके चरणों में अर्पित मैं करूँ
अपना ह्रदय और अपनी वाणी.


अनंत लीलाओं के रचैया
लीलाधर को करूँ मैं नमन.
अपनी लीलाओं के साथ प्रभु
आया करो कभी मेरे भी मन.