जीवन का सूनापन क्या
कभी दूर हुआ है दुनिया से.
खालीपन , एकाकीपन ये
मिलते हैं उपहार दुनिया से.
रोग की जड़ से कभी
रोग कोई मिटता नही.
ऐसे ही इस दुनिया में
सुख कोई टिकता नही.
युगल छवि के दर्शन में ही
जीवन की सारी सजीवता है.
आनंद से भर जाए ये जीवन
फिर कहीं नही नीरवता है.
हे श्यामा-श्याम मेरी मति को
अपने इन चरणों में लगा दें..
मेरे इन नेत्रों को अपनी इस
दिव्य छवि का रसिक बना दें.
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