मंगलवार, 27 मार्च 2012

इन दीवारों की वजह हैं दिलों के बीच की दरारें

कभी शराहदों पे
कभी शहरों में
कभी घरों में
अब तो रिश्तों में भी
खड़ी होने लगी हैं दीवारें.

और इन दीवारों की वजह हैं
दिलों के बीच की दरारें

जीत ली किसी की जमीन
पर वे अपनी इच्छाओं से हारे

दिल को नही दीवारों को
दरारों की जगह बनाए
ताकि जितनी जल्दी हो सके
ये बीच की दीवारें ढह जाए .

जिसमे इंसान के लिए भी प्यार नही
ऐसे दिल में कैसे भगवान समाये
औरों के लिए नही खुद अपने
भले के लिए हम भला बन जाए.

2 comments:

vandana gupta ने कहा…

सकारात्मक संदेश देती रचना।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

एक विश्व हैं सब प्राणीजन..