बुधवार, 23 नवंबर 2011

माया से बचने का तरीका है बस मायापति के ही चरण में



अजन्मा के नाभिकमल से जन्मे
इस जगत के स्रष्टा ब्रह्मा .
पर देख प्रभु की बाल लीला
वो भी रह गए थे अचंभा.

संदेह का एक पल था वो
प्रभु की माया ने लिया घेर.
पर देख प्रभु की अद्भूत लीला
उनकी बुद्धि भी हो गई ढेर.

तत्क्षण पहचान लीलाधर को
आ पहुँचे वो शरण में.
माया से बचने का तरीका है
बस मायापति के ही चरण में.

जब ब्रह्मा जी की ऐसी हालत
फिर हमारी क्या बिसात है.
उस पर भी कलयुग के जीव
संदेह में जीते दिन-रात है.

लेना चाहे तो ले ले सबक
उन हाथों में दे दे अपनी डोर.
एक तो माया के झंझट छूटेंगे
दूजा आनंद का भी न होगा छोर.

3 comments:

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

सच्ची बात।

SANDEEP PANWAR ने कहा…

दमदार बात कही है।

S.N SHUKLA ने कहा…

बहुत सुन्दर सृजन , बधाई.

कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारकर अपना स्नेहाशीष प्रदान करें.