सोमवार, 21 नवंबर 2011

कुछ कदम बढाने की बात है, रास्ते में ही मिल जायेंगे वो.

कभी रहे साथ हम भी उनके
हुई होगी हमारी उनसे बातें
कैसे भूल गए हैं उनको और
कैसे भूला दी वो सुन्दर यादें.

ऐसे पल तो भूलाये न भूले,
हमारी भूल कि उसे भी भूले
तभी तो भटक रहे हैं अकेले
झेल रहे हैं माया के झमेले.

मति कैसे मारी जाती है इसका
इससे बेहतर उदाहरण न होगा.
कृष्ण का है बच्चा और अपनी
मर्जी से माया में आ फँसेगा.

आनंद में रहने की थी आदत
वो आनंद तो यहाँ है जैसे सपना.
अपनों से भरा वो बाबुल का घर
यहाँ शायद ही मिले कोई अपना.

पिता से अब रिश्ते सुधार ले
भूला देंगे हमने किया है जो.
कुछ कदम बढाने की बात है
रास्ते में ही मिल जायेंगे वो.