कहते हैं कि जहाज का पंक्षी
लौट के जहाज पर ही आये.
क्या हो उस पक्षी का जिसका
जहाज ही समंदर में डूब जाए?
समंदर की अंतहीन सीमाओं में
और डूबे जहाज के गम में .
वो उड़-उड़ के मर जाए
या जहाज के साथ डूब जाए?
जब कुछ न समझ आये
कहाँ हम किसके पास जाए.
ऐसे में गिरिधर ही हमें बचाए
वो हर कदम पर साथ निभाए .
वही हमारा समंदर
वही हमारा जहाज
वही हमारी उड़ान
बस उससे ही नाता
बस उससे ही पहचान.
तेरे होते हमने
कही और आस लगाईं
बचा लेना प्रभु दुबारा जो
मैंने ये गलती दुहराई.
4 comments:
गिरधारी ही तो सब कुछ हैं ।
hare krishna :)
thanks - it is beautiful ....
एक आस एक विश्वास …………मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई……………
पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ,मन शांत हुआ यहाँ आकर....राधे कृष्ण ..........
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