शुक्रवार, 18 नवंबर 2011

क्या हो उस पक्षी का जिसका जहाज ही समंदर में डूब जाए?

कहते हैं कि जहाज का पंक्षी
लौट के जहाज पर ही आये.
क्या हो उस पक्षी का जिसका
जहाज ही समंदर में डूब जाए?

समंदर की अंतहीन सीमाओं में
और डूबे जहाज के गम में .
वो उड़-उड़ के मर जाए
या जहाज के साथ डूब जाए?

जब कुछ न समझ आये
कहाँ हम किसके पास जाए.
ऐसे में गिरिधर ही हमें बचाए
वो हर कदम पर साथ निभाए .

वही हमारा समंदर
वही हमारा जहाज
वही हमारी उड़ान
बस उससे ही नाता
बस उससे ही पहचान.

तेरे होते हमने
कही और आस लगाईं
बचा लेना प्रभु दुबारा जो
मैंने ये गलती दुहराई.

4 comments:

विवेक रस्तोगी ने कहा…

गिरधारी ही तो सब कुछ हैं ।

बेनामी ने कहा…

hare krishna :)

thanks - it is beautiful ....

vandana gupta ने कहा…

एक आस एक विश्वास …………मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो ना कोई……………

avanti singh ने कहा…

पहली बार ब्लॉग पर आना हुआ,मन शांत हुआ यहाँ आकर....राधे कृष्ण ..........