एक कैद चिड़िया
बिना भोजन बिना पानी
जाने कब से
भर रही सिसकियाँ
पर कभी भी हमे
दया न आयी
बीत गई उसकी
जाने कितनी जिंदगियां.
जब भी वो छटपटाती
हम पिंजरा बदल देते
कभी देख नही पाते
आकाश से उसकी दूरियाँ.
पिंजरा के पीछे
ऐसी हुई दीवानगी
कभी नजर ही
न आयी चिड़िया की खूबियाँ.
कैद के लिए चाहिए पिंजरा
और मुक्ति के लिए भी.
जाने ये कैसी इस
चिड़िया की है मजबूरियाँ.
2 comments:
मुक्ति आकाश मिले इसे।
hare krishna
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