पलट जाता है सबकुछ एक पल में कैसे
पत्ते से लुढके, बारिश की बूँद, अचानक जैसे.
हँसती-खेलती जिंदगी,विरान कैसे हुई
रोती आँखें पल में देखो कैसे चमक गई.
लगता जैसे हर चीज क्षणिक हो यहाँ पर
सुख का सवेरा हो या दुःख की हो दोपहर.
छोटी-छोटी चीजें भी,नही है यहाँ सदा के लिए
फिर कैसे सोच कि जिंदगी ये सदा हम जीये.
धोखा न दे हम खुद को,न औरो को झूठी दिलासा
बिना कष्ट के ताउम्र सुख से जीने की झूठी आशा .
इन क्षणिक चीजों के बीच एक चीज है स्थायी
जो न कभी कम होती और न जा सकती मिटायी.
कृष्ण और कृष्ण प्रेम,है सभी के लिए,सदा के लिए
कभी न घटे,जाने कितनों ने लिए,कितनों ने दिए.
2 comments:
ईश्वरीय प्रेम की थाह नहीं, सुन्दर पंक्तियाँ।
aapke itne sunder blog ko sat sat naman ......
bahut sunder likhte hai aap......gajab ka adhyatm hai
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