बूढा बरगद सब कुछ जाने
पर रहे वो सदा ही मौन
कौन है उसके तले आ बैठा
और गुजरा जो वो था कौन.
अतीत की सारी यादें समेटे
समय का सबसे बड़ा गवाह
आते रहे लोग,जाते रहे लोग
पर वो रहा वही पर यूँ ही खड़ा.
गलतियाँ देखी लोगों की उसने
सजा भी मिलते उसने देखा.
आँखों में इसकी छुपे हो जैसे
कर्मों का हमारे लेखा-जोखा.
ऐसे ही गुमसुम जाने कितने
हम पर निगाहे रखे है और भी.
हर पल हम पे हैं नजरे टिकी
दिन में सूरज,रात में तारे सभी.
हर लम्हा हमारा कैद है होता
अंत समय में होती है पहचान
कितने लम्हे थे कान्हा के लिए
कितनो में थे हम उससे अनजान.
1 comments:
waah, bahut khub
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