हर साँस उसकी हवा से लेते
अन्न उसकी भूमी से उपजाते.
हर क्षण है उस पर आश्रित
पर मालिक मानने से कतराते.
जहाँ तक जा सकती है नजरें
वो सब कुछ ही उसकी नेमत है.
बर्बादी के सिवा हमने बनाया क्या
ये हमारी है इजाद,जो भी दहशत है.
कुछ कभी नही छोड़ी थी मालिक ने
पर हमारी धोखे की फितरत है.
हर पग ही हम उसे धोखा देते
पर वो देता हमेशा ही रहमत है
क्या-क्या दिया है उसने हमे
है गिनती से ये परे की चीज.
जो है अपनी फली-फूली जिंदगी
उसने ही दिया है उसका बीज .
अभी भी साँसे चल रही है हमारी
क्या है उसका ये एहसान नही.
चाहे हमने छोड़ा साथ उसका
क्या छोड़ा है उसने साथ कही .
हर पाप अपने हाथों से करते
फल मिले तो उसको बुलाते.
कभी मांगते तो कभी कोसते
पर वो सदा ही हमें थाम लेते.
भगवान का भी कोई हुआ नही
तो और किसी का क्या वो होगा.
उसके सारे रिश्ते खोखले होंगे
वह हर रिश्ते में स्वार्थ ढूँढेगा.
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