रविवार, 3 अप्रैल 2011

क्यूँ लगता हमें हर रिश्ते में अधूरापन क्योंकि परम पूर्ण के साथ रहके आये हैं.

क्यूँ लगता हमें हर रिश्ते में अधूरापन

क्योंकि परम पूर्ण के साथ रहके आये हैं.

चाहते कि बिन बताये समझे हमारी बात
हमारी फिक्र करे चाहे कैसे भी हो हालात.

वो जो हमारा है उसके अंदर हर चीज हो पूरी
भले अपनी शख्सियत रहे हमेशा ही अधूरी.

हर इच्छा उसे पता हो बताने कि जरूरत नही
पल में करे उसे पूरी,मांगे कभी मोहलत नही .

सबसे सुन्दर भी हो ,हो बहुत सारा धन भी
बुद्धिमान भी हो वो और हो निर्मल मन भी .

और भी जाने कितनी आकांक्षाएँ लगाते हम
इन कसौटियों पर हर रिश्ते को आजमाते हम.

ये हमारी गलती नही, ये असर दिखा रहा स्वाद
जो मिला नही फिर उसका साथ छोड़ने के बाद .

वो था इतना पूर्ण,उसने सारी उम्मीदे की पूरी,
ये उम्मीदे रह गई साथ पर उससे बढ़ गई दूरी.

ये लत उसके साथ की,जो गई नही है अब तक
जायेगी भी नही लौटेंगे नही उसके पास जब तक.

एक वही है जो हमें समझ सकता है हमारी तरह
दूसरा कैसे समझेगा कोई है ही नही उसकी तरह.

कान्हा ही तो है जिसके साथ हम रहते आये है
उसकी खूबी अब तक औरों में ढूँढते आये हैं.

वो ही है पूर्ण और हमारी एकमात्र वही तलाश है
जल के सिवा मछली कि कहाँ कोई और प्यास है?

3 comments:

vandana gupta ने कहा…

पूर्ण से मिलने के बाद कोई इच्छा नही रहती इंसान पूर्ण तृप्त हो जाता है………………सुन्दर अभिव्यक्ति।

hamarivani ने कहा…

अच्छे है आपके विचार, ओरो के ब्लॉग को follow करके या कमेन्ट देकर उनका होसला बढाए ....

Dinesh pareek ने कहा…

बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पे आने से बहुत रोचक है आपका ब्लॉग बस इसी तह लिखते रहिये येही दुआ है मेरी इश्वर से
आपके पास तो साया की बहुत कमी होगी पर मैं आप से गुजारिश करता हु की आप मेरे ब्लॉग पे भी पधारे
http://kuchtumkahokuchmekahu.blogspot.com/