कैसे प्यार करूँ मै तुझसे
कैसे मै तेरी हो जाऊं.
शुष्क पड़ा है दिल का कोना
कैसे प्रीत की बेल लगाऊं.
चाहे मन तेरा हो जाना
पर प्रेम की इक लहर न उमड़े .
आना चाहूँ पास तेरे
पर राग-द्वेष मुझे है जकडे.
इतने रिश्तें मैंने बनाए
आज खुद उलझ गई जिसमे.
कितने रंग चित्त पे चढ गए
श्याम रंग ढक गया है उसमे.
बड़ी बुरी हालत मेरी
कान्हा तेरी याद है आयी.
इतने दिन हो गए घर छोड़े
कि रास्ता ही मै बिसरायी.
1 comments:
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति ।
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