गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

जाना तो है ही कान्हा को व्रज से,पर साथ में किस-किस को ले जाए.



अपने बछड़े से बातें करे गोपाल
बछड़ा है उसका आज बड़े उदास.
पूछा उनसे कि क्या है परेशानी
क्या कोई हो गई है बात खास.

आँखों में नीर भरके वो बोला
मैया कहती है तू चला जाएगा.
फिर कौन खेलेगा मुझसे कान्हा
और साथ मुझको कौन खिलाएगा.

तेरे सिवा कोई भाषा न समझे
न ही कोई नाम लेकर बुलाये.
कैसे जाएगा छोड़कर मुझको
मेरे लिए ही तू गोविन्द कहाए.

जब से सुनी है मैया की बातें
मुझको अब कुछ नही सुहाता.
लेकर चलना साथ में मुझको
तू अगर कही और है जाता.

धीरज धराए कान्हा उसको पर
समझाना क्या खुद ही न समझ पाए.
जाना तो है ही कान्हा को व्रज से
पर साथ में किस-किस को ले जाए.