जीवन की अपनी कुछ
अनकही बातें
कहती हूँ तुझसे
कहाँ हो तुम जाते
कब से था मुझको
तेरा इन्तेजार
यूं ही गई अब तक
जिंदगी बेकार
कहाँ से शुरू करूँ
अपनी कहानी
कैसे कहूँ हाल-ए-दिल
अपनी ही ज़ुबानी
तेरे बिना कैसे
जी लिया मैंने
बेकार की आशाएं
बकवास वो सपने
दिल में ही तो रहता
है तू मेरे
कहाँ है कोई पर्दा
बीच तेरे और मेरे
बिन तेरे अब मै
कहाँ कुछ कृष्णा
मुश्किल से मिले हो
अब न बिछरना
1 comments:
बस एक बार मिलना चाहिये फिर कहीं नही जाता वो।
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