गुरुवार, 23 सितंबर 2010

कब मेरी भक्ति की शुरुआत होगी

आँसू जो तेरे चरणों के लिए

वो तकलीफों में बह रहे हैं.
रोना था हमें तेरे लिए प्रभु
पर अपनी परेशानियों पे रो रहे हैं.

तेरा विरह मुझे
बेचैन नही कर पाता उतना .
ये संसार,ये माहौल
कर जाता है जितना.

तेरे मिलन की तड़प
अभी भी इस कदर न तडपाये
कि बाकी सारे सुख-दुःख
मुझे नजर ही न आये.

भक्ति के एक भी चिह्न
मुझमे दिखाई नही देते.
सुध बनी रहती है अब भी
तेरे नाम लेते-लेते.

कब मेरी भक्ति की शुरुआत होगी
कब होठों पे मेरे तेरी ही बात होगी.
कब खुले आँखों से तेरे दर्शन होंगे
कब स्वप्न में भी मुलाकात होगी.