जगत के नाथ जनन्नाथ
दर्शन देने को निकले आज
छूट न जाए ये दुर्लभ दर्शन
दौड़ पडो छोड़ो सब काज
भक्त वत्सल भगवान हमारे
मंदिर से निकलकर आये हैं
दया,करुणा,वत्सलता अपनी
जन-जन पे ही बरसाये हैं
एक बार जो कर ले दर्शन
कोटि जन्म के पाप छँट जाए
खींच लिया जो रस्सा रथ का
जन्म-मृत्यु की रस्सी कट जाए
भक्तों के कंधे झूल झूलकर
कर रहे हास सुन रहे ठिठोली
कैसे-कैसे करते हैं प्रभु नख़रे
कैसी है उनके भक्तों की बोली
भक्ति कितना भी ज़ोर लगाते
पर कभी प्रभु रथ पर ही न आते
चलते-चलते मार्ग में सहसा
जी करता और प्रभु रूक जाते
अगर दर्शन देना चाहते कहीं
तो फिर प्रभु रथ वही ठहराते
आज भक्त उनके पास नही
वे भक्त के पास स्वयं आते
ऐसी ही लीलाएँ अनोखी
आज सुलभ है सबके लिए
कृपा करने को सब पर आए
प्रभु दाऊ,सुभद्रा साथ लिए ।
4 comments:
शानदार पोस्ट
best ! just best
जय जगन्नाथ!जय बलदेव! जय सुभद्रा!
nice devotional post .
may u get divine krishn in ur life.
भक्ति दे दो हे भक्त वत्सल
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