हर क्षण प्रभु की कृपा बरस रही है
कोई आनंद से सराबोर हो रहा है.
तो कोई माया की छतरी लिए
अभी भी कही किसी ओट में खडा है.
हर एक पर कृपा है प्रभु की
नही मिली तो ये हमारी कृपणता है.
उनकी कृपा का बादल तो कभी
कोई घर देख कर नही बरसता है.
कण-कण में भगवान हैं
बस महसूस करने की बात है.
मूँद रखी हैं हमने आँखें
और कहते हैं कि रात है.
कमी है हमारे ही अंदर और
हम दोष उनपे लगा जाते हैं.
हाथें हमने खींच रखी है और
कहते वो हाथ नही मिलाते हैं.
वो तो कब से हैं बेचैन कि
कब जायेंगे हम उनके पास.
हमने खो दी है उन पर से श्रद्धा
पर उन्होंने छोड़ी नही है अब भी आस.
बड़े प्यारे हैं प्रभु
प्यार करके तो देख.
दौड़े आयेंगे वो पास तेरे
तू बढ़ा तो कदम एक.
शनिवार, 12 जून 2010
बड़े प्यारे हैं प्रभु प्यार करके तो देख.
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1 comments:
अतिप्रशंसनीय स्तुति ।
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