आँखें मेरी थक गयी
बह-बह के आँसू अब तो
वो भी रुक गयी
क्या करूँ इन अखियों का
जिनमे तू नजर न आये
ऐसी अंखियों से तो अच्छा
कोई इन्हें ले जाए
अंखियों के बिना कहते
सब दिखता है काला
काला ही तो हैं न
तू भी मुरलीवाला
तो ले ले मेरी ये अँखियाँ
गर बिन अंखियों के तू नजर आये
तेरे लिए एक क्या
हर जन्म की हर अँखियाँ जाए.
हर कुछ लुटा कर भी तू नजर आये
सब कुछ गवां के भी तू मिल जाए
तो भी वो बेहतर रास्ता है
तो भी ये सौदा सस्ता है.
2 comments:
जय श्री कृष्ण, आप की कृष्ण भक्ति देख कर भावविभोर हूँ, मेरे पिता जी भी कृष्ण के अनन्य भक्त हैं, बहुत शुभकामना!
उस काले को देखने के आपके अंदाज निराले!
आपने जिस स्तर पर जाकर इसे लिखा होगा,हम इसे उस स्तर पर ही नहीं पढ़ सकते!हम अपने तुच्छ से स्तर से ही प्रतिक्रिया दे सकते है!
आपके स्तर पर तो ये सुदा सस्ता ही होगा,निश्चित ही....
कुंवर जी,
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