भगवान आते हैं इस धरा पर
भक्तों के उद्धार के लिए.
वरना उनकी एक भृकुटी ही
काफी है दुष्टों के संहार के लिए.
प्रभु भाव के भूखे हैं
और प्यार की हैं उन्हें प्यास
भक्तों से प्रेम का विनिमय करने
वो खुद भी आ जाते भक्तों के पास
जिनके अंदर है समाये जाने
कितनी पृथ्वी,कितने आकाश
उस विभु प्रभु को भी रख लेता
अपने ह्रदय में उनका दास
जिन्होंने गजेन्द्र के बंधन खोले
जिनका नाम ही कर दे पाप का नाश
वो नटवर भी न खोल पाते हैं
मैया यशोदा का वो प्रेम का पाश
प्रेम के लिए प्रभु तो
क्या नही कर जाते हैं
कभी व्रज में माखन चुराते हैं
कभी मैया की मार खाते हैं.
कभी गोपियों को वो तडपाये
कभी गोपियाँ उन्हें नचाये
इस आनंद घन को छूकर
हर कोई आनंदित हो जाए.
उनके प्रेम को पीकर
कोई प्यास नही रह जाती है
हर आशा,हर तृष्णा
सदा के लिए मिट जाती है.
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