मंगलवार, 8 दिसंबर 2009

आत्मा का आनंद


जन्म के बाद मरण है निश्चित
मरण के बाद फिर एक जन्म
फिर होगा एक नया शरीर
जैसे किये होंगे हमने कर्म

जन्म-मृत्यु के अनवरत चक्र में
विलाप का विषय है ही कहाँ
जन्म भी तो मृत्यु किसी -की
मृत्यु भी तो है एक जन्म यहाँ

न ही जन्म पे सुख है कोई
न ही मरण है दुःख की बात
आत्मा के लिए तो दोनों ही
हमेशा की होती काली रात

आत्मा का सबसे बड़ा कष्ट है
किसी भी देह को धारण करना
चौरासी लाख योनियों के
अंतहीन सफ़र में भटकना

जिस दिन इस चक्र से मुक्ति मिल जाती है
आत्मा परमात्मा के चरणों में पहुँच जाती है
आनंद के सागर में नित गोते वो लगाती है
जिस दिन कृष्ण के चरणों में चली जाती है

आत्मा का पडाव है
परमात्मा के चरण
आत्मा का आनंद है
अपने राधारमण

3 comments:

Prabhat Sharma ने कहा…

Absolute True !
Very Very True Facts Has Been Depicted Your Poem.I Should Say That You Have Sumarize Very Haertly The Bold And Only True Face Of Life.


Excellent Writting And Blog Header Image is So Nice!

Especially The Last Line....
Keep It Up!

Best Wishes
Hare Krishna

Yogesh Verma Swapn ने कहा…

sunder bhav, man ko shanti pradaan karti rachna.

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

kay baat hai
ati sundar