बड़ी लगन से चली ढूँढने
अपने श्याम सुन्दर को
मनभावन मनमोहन
श्यामल नन्द्कुंवर को
वृन्दावन उन्हें बड़ा प्रिय है
वहां ही वो रमते हैं
मन ने कहा बावरी
हम भी वही चलते है
कुञ्ज गली में छुप के ढूंढा
कहीं दिख जाए वो माखनचोर
कहीं किसी घर में दिख जाये
छाछ पे नाचता नंदकिशोर
सुबह से हो गयी शाम
पर आये नही घनश्याम
न बंशी बजी न गैया दौडी
न ही लौटे वन से वनचारी
कुञ्ज वनों में भी पुकारा
निधिवन को छान डाला
न गोपियाँ सज रही थी
न संवर रही थी वृषभानु दुलारी
शायद सांवरे इतने सुलभ नही
तभी तो छुप गए हमसे रासबिहारी
गैया दिखी दिख गए ग्वाले
दिखी वो कदम्ब की डाल
कहा लोगो ने यही पे तो
खेला करते थे गोपाल
पर मेरी निगोड़ी अँखियाँ को
वहां भी नही दिखे मुरारी
घाट पे ढूंढा ,वन में ढूँढा
फिर दिखी यमुना माई
जाके पूछा कालिया को ढूँढने
क्या आये थे यहाँ कन्हाई
शांत रहे लहरें मैया की
यहाँ फिर से मेरी आशा हारी
गोवर्धन से जाकर पूछा
मेरे प्रभु का पता बता दो
कब आयेंगे फिर तुम्हे उठाने
मुझे बस इतना बतला दो
पर गोवर्धन पे जाके भी
मुझे मिले नही गिरधारी
वृन्दावन की रज से पूछा
पंछी और बन्दर से पूछा
डाल हिला पेडों से पूछा
क्या इधर से गये है बिहारी
पर वृन्दावन आकर भी
मुझे मिले नही वनवारी
उनकी क्या गलती मै ही
हूँ तुच्छ अकिंचन नारी
बुधवार, 28 अक्तूबर 2009
मिले नही वनवारी
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4 comments:
Nice One !
Excellent Keep Moving On Path Of Bhakti.
One Day You Will Surely Get "BANVARI"
Hare Krishna
Kshitij
कब आयेंगे फिर तुम्हे उठाने
मुझे बस इतना बतला दो
सूक्ष्म भावार्थ बधाई .
आपका टिप्पणी देने वाले लिंक का रंग(नीला) बहुत हल्का है दिखाई नहीं देता
kahin dhoondhle nahin milenge tere krishna murari
tujh men hi to chhipa hua wo govardhan dhari
nahin akinchan tu, tujhmen hai meera jaisi pyaas
jab tak usko paa na jaao nahin chhodna aas
Picture of Radha Krishna on your blog is so nice and beautifull.
HareKrishna
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